Success Story: संघर्षों के सागर में जिसने दिन रात नहाया है। ऐसे ही लोगों ने सफलता के झंडे फहराए हैं। आज हम एक ऐसे शख्स की बात कर रहे हैं।...
Success Story: संघर्षों के सागर में जिसने दिन रात नहाया है। ऐसे ही लोगों ने सफलता के झंडे फहराए हैं। आज हम एक ऐसे शख्स की बात कर रहे हैं। जिन्होंने टेक्नोलॉजी का सही इस्तेमाल किया। गांव में रहकर एक छोरा आईएएस अफसर बन गया। उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के उतरावली गांव के विभोर भारद्वाज का सफर भी बेहद खास है। उन्होंने आईएएस परीक्षा में 19वीं रैंक हासिल किया है। उनकी इस सफलता से गांव के लोगों की खुशी की लहर दौड़ गई है।
विभोर की शुरुआती शिक्षा गांव के स्कूल से हुई। उन्होंने शिकारपुर के सुरजभान सरस्वती विद्या मंदिर से हाई स्कूल में 88 फीसदी और इंटरमीडिएट में 91 फीसदी अंक हासिल किए। इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से बीएससी और एमएससी प्रथम श्रेणी में पास की। तीसरे प्रयास में उन्होंने सफलता हासिल की है।
DU से की फिजिक्स की पढ़ाई
विभोर ने दिल्ली के हंसराज कॉलेज से फिजिक्स में MSc किया। फिजिक्स जैसे भारी-भरकम सब्जेक्ट को पढ़ने के बाद उन्होंने सोचा-क्यों ना UPSC की तैयारी करके कुछ बड़ा किया जाए?.बस यहीं से उनका सफर शुरू हुआ। उन्होंने फिजिक्स को ही अपना ऑप्शनल सब्जेक्ट चुना और सिर्फ सात महीनों में UPSC मेन्स का पूरा सिलेबस कवर कर डाला। ऑनलाइन कोचिंग और खुद के बनाए नोट्स उनके सबसे बड़े हथियार थे। इस तरह एक गांव के लड़के ने यूपीएससी जैसी परीक्षा में परचम लहरा दिया। बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) में पढ़ते हुए उन्होंने यमुना खादर की स्लम बस्तियों में सेवा का काम किया था। यहीं से उनमें समाज सेवा का भाव जागा। उन्होंने तय कर लिया कि सिविल सेवा ही इसके लिए एकमात्र रास्ता है। इस तरह उनकी यूपीएससी की जरनी शुरू हुई।
इस तरह की यूपीएससी की तैयारी
विभोर ने यूपीएससी की तैयारी ऑनलाइन ही की। लेकिन GS के लिए कोचिंग क्लासेज ली थी। उन्होंने पुराने साल के सवाल प्रैक्टिस करना, नोट्स बनाना और करेंट अफेयर्स का रिवीजन करने पर फोकस किया। इसके अलावा वे अखबार, वेबसाइट, मैगजीन और रिपोर्ट्स से कंटेंट इकट्ठा करके पढ़ करते थे। अपने नोट्स खुद बनाते थे। विभोर ने यूपीएससी के लिए तीन चीजों पर सबसे ज्यादा फोकस किया। इसमें उन्होंने सिलेबस, रिवीजन और पुराने साल के प्रश्नों पर फोकस बढ़ाया।
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